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सच्चा मानव - लेखनी प्रतियोगिता -17-Jun-2022

मानव मन से आलस्य को निकालकर
स्फूर्ति संग जीवन संघर्ष जो करता है
निराशा भरे पथ पर धैर्य से चलता जो
वह जो चाहे सब कुछ कर सकता है।

चिंता-चिता के बीच का फर्क समझकर
चिंता से नित दूर रह के चिंतन करता है
रहता तनाव से मुक्त सुविचार होते संग
 वह जो चाहे सब कुछ कर सकता है।

ईर्ष्या-द्वेष के कीटाणु मन से निकालता 
प्रेम इत्र का छिड़काव उन पर करता है
घृणा की जंजीरों से रहता है सदा मुक्त
 वह जो चाहे सब कुछ कर सकता है।

प्रत्येक रिश्ते के महत्त्व को समझकर
निस्वार्थ रह संबंधों में दृढ़ता रखता है
पूरे परिवार को एक माला में पिरोता है
वह व्यक्ति जो चाहे सब कर सकता है।

हार से बिना डरे मेहनत का लेप लगाए
मंजिल की ओर बिना रुके बढ़ता जाए
पथ की कठिनाइयों से नहीं घबराता है
वह जीव जो भी चाहे सब कर पाता है।

सदा कुछ पाने का मोह न अपनाता है
छल-कपट का स्वागत ना कर पाता है
कर्तव्य पथ पर लगन से चला जाता है
वह जो चाहे सब कुछ कर सकता है।

जात-पात का भेद मन में न उपजाता है
सद्भाव के बीज रोप सौहार्द से सींचता है
विश्वबंधुत्व की खुशबू चहूँ ओर फैलाता है
ऐसा सच्चा मानव सब कुछ कर पाता है।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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12 Comments

Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 05:44 PM

अतिसुन्दर👌👌

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Priyanka06

18-Jun-2022 01:21 PM

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मेम

Reply

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

18-Jun-2022 01:10 PM

Wah

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